मंगलवार, 21 मई 2019

सार्थक

नव का हो निर्माण सार्थक
निजहितचिंतन हो गौण जहाँ
मुखरित हो सर्वजन हित
सर्वजन सुख जहाँ सर्वदा

नव का हो निर्माण..
निस्वार्थ रहे जब सोच सदा
सत्यनिष्ठ हो एकनिष्ठ हो
सत्पथ हो संधान जहाँ

नव का हो निर्माण..
निरपेक्ष हो निष्पक्ष सदा साथ
चलें साथ बढ़ें
राष्ट्रहित रहे जो लक्ष्य सदा..

अक्षिणी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें