मन ही मन मन तोल रही हैं,
साजन की व्यापारी आँखें..
छन ही छन में मोल ही लेंगी
सजनी की लाचारी आँखें..
बिन बोले ही बोल रही हैं
साजन की मतवारी आँखें..
देखना इनमें डूब रहेंगी,
सजनी की पतवारी आँखें..
नेह किरण से छलक रही हैं
साजन की रतनारी आँखें..
आज मिलन का टैक्स भरेंगी,
सजनी की छतनारी आँखें..
गति सीमा को तोड़ रही हैं,
साजन की मनुहारी आँखें..
लगता है फिर चालान भरेंगी,
सजनी की बलिहारी आँखें..
~अक्षिणी
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