सोमवार, 17 अक्तूबर 2022

जाने क्या था..?

जाने क्या था..?
उड़ता कोई कागज का पुर्जा,
फिरता चलता यहाँ से वहाँ..

जाने क्या था..?
था भीगे किसी पायदान सा,
तिल तिल रिसता, घिसता हुआ..

दर्द क्या था..?
सपना सूना कोई बिखरा सा,
जलती किसी आँच में निखरा सा..

फर्क क्या था..?
झूठ था कि कोई सच था,
या कि बेबस बेचारा कोई बेजुबां..

हर्ज़ क्या था..?
सड़क पे लावारिस सा पड़ा,
फक़त चार काँधों की तलाश सा..

मर गया था..?
आदमी भर तो था..
आदमी शरीफ, कोई गरीब था..


अक्षिणी





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