बुधवार, 14 सितंबर 2022

हैप्पी हिंडी डे..

-कहाँ से आ रही हो महारानी?
अँधेरा हो गया है
-बताते हैं भाई,साँस तो ले लें
-अच्छा जी
बड़ी बदली सी लग रही हो..
बालों में जूडा..
जूड़े में लाल गुलाब,
गालों पे रंगत..
होठो पे लाली..
माथे पे बिंदी का चाँद..
और ये दुशाला लाजवाब..
कहाँ से आ रही है सवारी?
-ओ हो तुम भी!
जल्दी है मुझे..
-जल्दी..?
अब कहाँ जाना है..?
अभी तो लौटी हो सुबह से..
-अरे भाई.. तुम समझती क्यों नहीं.. एक ही तो दिन होता है मेरी खुशी का..जब मेरी सभी संतानें मुझे याद करती हैं..
सच बड़ा अच्छा लगता है..
-ओ हो..फिर तो आज तुम्हें व्यस्त होना ही था!
-वही तो..चलो अब तैयार होने दो..
-अरे फिर से?
-हाँ तो..पड़ौस में नया कॉफी कोर्ट खुला है..
-मगर वहाँ तो अँधेरा ही अँधेरा..धुआँ सा उठता देखा है..
-वही..
-मगर तुम सठियापे में वहाँ क्या करने जा रही हो..बड़े जवान लड़के-लड़की आया करे हैं उधर तो?
-सठियापा नहीं,सत्तरयापा चल रहा है।1949 से गिनो..
-बदल दी न बात?
कहो क्या है वहाँ?
-कुछ प्यारे से बच्चों ने बुलाया है..गिट-पिट करके कुछ कह रहे थे..
-पर तुम वहाँ जा कर करोगी क्या? सुबह से मन नहीं भरा तुम्हारा फूल-मालाओं से? गोष्ठियों-संगोष्ठियों से?
-तुम तो पीछे ही पड़ जाती हो!प्यार से भला कभी किसी का पेट भरा है?
-प्यार?वही जिसके लिए बिसूरती रहती हो पूरे साल?
-सुनो अभी हो आती हूँ थोड़ी देर और सही,बेचारों ने प्यार से बुलाया है..
-और तुम तो हो भी मनुहार की कच्ची..
-सो तो है..देखो तो ये साड़ी ठीक से बँधी है..?
इसकी पाड़ ठीक से पड़ी है ना?
-अच्छी लग रही हो..वो मोतियों का हार भी डाल लो..
-नहीं,बड़ा पुराना है..ये डालती हूँ गारनेट वाला..
-और हाँ सुनो..देख तो आओ..कोई आया भी है या पिछली बार की तरह..?
-हम्म..। 
-अरे वहाँ तो बड़ा उत्सव सा सजा है..हो आओ..
--------

-अरे..लौट भी आईं?
कैसा रहा..?
-यूँ तो अच्छा ही रहा सब कुछ..
बच्चे गीत गा रहे थे..कुछ पुस्तकें भी पड़ी थीं यहाँ-वहाँ.. पर..
-पर क्या..?
-पर कुछ नहीं।बच्चों ने हिंदी डे मनाया,बोले..हैप्पी हिंदी डे आंटी जी..मैंने तीन ताली बजाई और लौट आई।
-ओह!
तो जाती क्यों हो..?
हर बार मुँह उतार कर आती हो..
-कैसे न जाऊँ?कैसे न मनाऊँ अपना दिन?इसी बहाने साल में एक बार दिनकर-नीरज-महादेवी-सुभद्रा जैसी मेरी संतानों को याद करते हैं लोग!
-यानि अबकी बार फिर जाओगी..?
-और नहीं तो क्या..?
बिल्कुल वैसे ही जैसे तुम संस्कृत दिवस पर जाती हो..
और दुखी हो कर आती हो..
-आओ बहन..अपना दुख साझा करें..अपनी भाषा के फूल झरें..कभी हमारे भाग फिरें..

हैप्पी हिंडी डे मित्रों..🙏


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें