शिकंजी उदयपुरी..
गुरुवार, 25 अगस्त 2022
ईश्वर..
युगों-युगों से उठता आया
प्रश्नों का सनातन स्वर है..
नर है नारी है नारायण,
या कि अर्धनारीश्वर है..
मुझ में रचता बसता है,
मुझ सा ही दिखता है,
मुझ सा ही मेरा ईश्वर है..
~अक्षिणी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें