वो झुंड में आएंगे
राहतों के झुनझुनों से चाहतों की हँसी छीन लेंगे..
सँभल के रहना तुम,
वो लौट कर आएंगे,
आसमां के सितारे दिखा कर वो ज़मीं छीन लेंगे..
आहिस्ता से हँसना तुम,
वो हर बार आएंगे,
जन्नतों के ख़्वाब दिखा के हर खुशी छीन लेंगे..
चाल उन की समझना तुम,
वो बदकार फिर आएंगे..
ख़्वाहिशों की लौ जगा कर रोशनी छीन लेंगे..
बातों में ना फँसना तुम,
वो बाज नहीं आएंगे..
उम्मीदों के पंख लगा कर ज़िंदगी छीन लेंगे..
~अक्षिणी
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