तेरी जय हो, मेरी जय हो,
सबकी जय और विजय हो..
केवल जय ही लक्ष्य हो अंतिम,
फिर मूल्यों का चाहे क्षय हो..
तेरी जय हो, मेरी जय हो,
सबकी जय और विजय हो..
जय ही जब हो श्रेयस्कर तो,
पुण्य-पाप का क्योंकर भय हो..
तेरी जय हो, मेरी जय हो,
सबकी जय और विजय हो..
जय ही जय हो वांछित स्वर तो,
सत्य-असत्य की साझी लय हो..
तेरी जय हो, मेरी जय हो,
सबकी जय और विजय हो..
पद ही जय हो,धन की जय तो,
अभिलाषा केवल धनसंचय हो..
~अक्षिणी
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