बुधवार, 11 नवंबर 2020

कमी..

कमी..
जो कसक बन चले..
एक धड़क बन चले..
कमी..
लाजिम ये सफ़र कर दे..
मंजिल-ए-नज़र कर दे..
कमी..
हासिल-ए-उमर बन चले..
ज़िंदगी मुख़्तसर कर चले..


~अक्षिणी 

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