हकीकतों से जूझता है
रोज वो..
बस ख्वाबों ख़्यालों में जीता है..
सच से भागता नहीं है,
चंद लम्हे चुराता है..
जीता है चंद मुस्कानें उम्मीद की..
शब्दों का चितेरा है वो,
कविताओं में जीता है..
बेखबर दुनिया जहान से,
अपनी धुन में मस्त मगन..
अक्षिणी
बस ख्वाबों ख़्यालों में जीता है..
सच से भागता नहीं है,
चंद लम्हे चुराता है..
जीता है चंद मुस्कानें उम्मीद की..
शब्दों का चितेरा है वो,
कविताओं में जीता है..
बेखबर दुनिया जहान से,
अपनी धुन में मस्त मगन..
अक्षिणी
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