कोचिंग संस्थानों के लिए कोई आचार संहिता नहीं है।इन्हें किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती क्योंकि अतिमहत्वाकांक्षी माता-पिता स्वयं इन्हें प्रश्रय देते हैं।
स्कूल की मामूली फीस देने को पैसे नहीं हैं पर कोचिंग सेंटर पर चौगुनी फीस अग्रिम जमा करवा सकते हैं।
सारे साल कोचिंग सेंटर पर पढ़ने जा सकते हैं पर परीक्षा देने स्कूल नहीं आ सकते। कोरोना हो गया तो?
शिक्षा विभाग के कर्ता-धर्ताओं की भी मति भ्रष्ट हो गई है। परीक्षा के लिए ऑनलाइन विकल्प दिया जाए जी..
अरे भलेमानुसों..ऑनलाइन विकल्प उपलब्ध है तो कौन मूर्ख ऑफलाइन परीक्षा देगा?
कोरोना भी कमाल है..मॉल में नहीं होता..न पिक्चर हॉल में..न मसूरी न नैनीताल में..न शादियों में न बैंक्वेट हॉल में..न स्टेडियम में न जिम-एक्जीबिशन हॉल में..
कोरोना होता है केवल स्कूल में इम्तिहान देते समय..
विचार कीजिए इस तरह बच्चों को सुविधाओं का दास, पिंजरे का रट्टू तोता बना कर क्या हम उनका भला कर रहे हैं..?
क्या वे सामना कर पाएंगे जीवन के संघर्षों का..?
कोई कोचिंग संस्थान जीवन जीने की कोचिंग नहीं देता..न कोई वन वीक सीरीज उपलब्ध है..न ही जीवन बहुवैकल्पिक वस्तुनिष्ठ प्रश्न पत्र है कि टिक लगाया और हो गया..
बच्चों के शुभचिंतक हैं तो उन्हें मजबूत बनाइए।
शॉर्टकट मत ढूँढिए..
समय दीजिए..
🙏
~अक्षिणी
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