सोमवार, 14 जून 2021

भीड़ से अलग..

इंकलाब वही लाते हैं
जो अकेले चने होते हैं..
भीड़ तो चनों के ढेर सी
भाड़ में भुन जाती है..
इसलिए,सुलगते रहो,

अकेले हो तो क्या..?

बुझने न दो इस आग को,
भाड़ क्या..
हम पहाड़ चीर दें..

~अक्षिणी..

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