सुन किसी शाम मुलाकात का वादा तो कर,
वक्त मिल जाएगा तू मिलने का इरादा तो कर..
सुन किसी चाह की मंजिल का तकाज़ा तो कर,
राह खुल जाएगी तू चलने का इरादा तो कर..
सुन किसी रात की गर्दिश का हवाला तो कर
शम्म्अ खुद आएगी, जलने का इरादा तो कर..
यूँ किसी ख़वाब की ज़ुम्बिश का चराग़ा तो कर,
बात रह जाएगी, तू कहने का इरादा तो कर..
सुन मेरी याद की रंजिश का नज़ारा तो कर..
ख़ाक रह जाएगी,तू भुलाने का इरादा तो कर..
अक्षिणी
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