गुरुवार, 3 सितंबर 2020

सुनो बात ज़रा मेरी माते..

सुनो बात ज़रा मेरी माते,
कुछ बाँट भी दो सौगातें..
कर जोड़ खड़े तेरे आगे,
सारे देश के सगे-सगाते..

काश लालू जी होते,
चारे की रेल चलाते..
मार के डंडे दसियों, 
इको की भैंस भगाते..

काश चिदु जी होते,
गमलों में गोभी उगाते..
करोड़ों देश का खाते,
चाऊमीन का चूना लगाते..

काश राहुल जी होते,
आलू से सोना बनाते..
बुलियन को जेब में ले के,
सौ टंच वो माल बनाते..

मनमोहन प्यारे होते,
चुपचाप खड़े वो रहते..
माई के चरणों फिर वो,
इको की तोप चलाते..

ऐसी बला लगी ये कोरोना,
सारी दुनिया बगलें झांके.. 
GDP डुबकी ऐसी मारे,
सब भूल गए हैं छलांगे..

सुनो बात ज़रा मेरी माते..
कुछ बाँट भी दो सौगातें..
कर जोड़ खड़े तेरे आगे, 
सारे देश के सगे-सगाते..

अक्षिणी 

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