शिकंजी उदयपुरी..
शुक्रवार, 6 सितंबर 2024
पढ़ ले प्यारे..
खुली किताब सी ज़िन्दगी
लम्हा-लम्हा पढ़ ले प्यारे
पन्ना-पन्ना पढ़ता जा रे
कोरे कागज़ दिन हैं सारे
सफहा-सफहा जैसे तारे..
सूखी कलमें फीकी स्याही
भीगे आखर, मौन गवाही..
हर्फ़-हर्फ़ जलते अंगारे..
पन्ना-पन्ना पढ़ता जा रे..
#पुस्तक_दिवस..
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