गुरुवार, 15 अगस्त 2024

स्वतंत्रता के माने क्या?

स्वतंत्रता के माने क्या?
आज़ादी के बहाने क्या?
बंधन सब खुल जाने भर?
आज़ादी के अफसाने भर?
कुर्सी की सेवा टहलाने भर?
जेब भरने के बहाने भर?
सेंधमारी हर ख़ज़ाने पर?
लाज-शर्म सब मर जाने पर?
रेतों से पुल चुनवाने भर?
देश-धर्म सब बिक जाने भर?
नियत के भर ना पाने भर?
जनता का पैसा खाने भर?

तुझे प्रणाम..

स्वतंत्रता और संप्रभुता  के
वर्ष अठत्तर तुझे प्रणाम 
जल थल नभ ऊर्जा से सिंचित
वंदन प्रखर तुझे प्रणाम 
जन गण मन प्रमुदित मुखरित 
हे विश्व प्रवर तुझे प्रणाम 
वेदांगी दुर्वा से पोषित भारत के
हे सत्य सनातन तुझे प्रणाम
हिमगिरि के मिति क्षितिज पर 
विचरित ओ मधुकर तुझे प्रणाम
कोटि-कोटि कंठों से गुंजित,
जय भारत के आल्हादित 
स्वर तुझे प्रणाम..
जय हिंद। जय भारत।।

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं