औरतें भी लादती हैं
साहस की गठरियाँ
अपना घर-बार बचाने को,
फकत, मर्द ही तो
अपने धीरज की
किश्तों का देनदार नहीं होता.....!!
औरतें भी साधती हैं
वक्त की चुनौतियाँ
अपना घर-द्वार चलाने को,
फकत, मर्द ही तो
अपने कर्मों की
किश्तों का देनदार नहीं होता.....!!
~अक्षिणी
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