रविवार, 29 जनवरी 2023

छंद बनें..

जब अंतस में हूक उठे तो
छंद बनें,
मन की कोयल कूक उठे तो
बंद बनें..

जब मानस में आग लगे हर
बोल जरे,
जब ढाढ़स की लाम लगे सब
तोल खरे..

आँखों में रक्त उतर आए तो
गीत बनें,
साँसों का राग उलझ जाए तो
संगीत बनें..

गीत बने जनगीत तभी,
जब लहू पुकारे गाते जाएँ..
अस्थियों का वज्र बने फिर 
निज मज्जा का दीप जलाएँ..

~अक्षिणी

सोमवार, 2 जनवरी 2023

ताख पे रखी हुई बातें..

वो अलगनी पे टंगी-टंगी सी  रातें
भूली सी, ताख पे रखी हुई बातें..
अपनी हैं..पराई भी..

ठहरी हुई इक हिमनदी सी
वो आधी सी,अधूरी सी मुलाकातें..
कच्ची है, सगाई भी..

मेरी साँसों में शामिल तेरी आहटों की खुशबू,
न मिलकर भी मिलने की सी ज़ुस्तज़ू..
अपनी है, तन्हाई भी..

#बातें
*सगाई-पकी हुई

~अक्षिणी