शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022

शाद-शाद..अरसे बाद..

यूँ निगाह-ए-ज़िंदगी से उतर जाएंगे एक रोज, 
तुझे खबर न होगी..
कि हद-ए-बंदगी से गुज़र जाएंगे एक रोज,
तुझे खबर न होगी..
~शिकंजी

है इत्तिफाक हुजूर, 
इत्तिफाक नहीं रखते..
तेरी फिराक़ में हैं,
मगर फिराक़ नहीं रखते..
~शिकंजी

वो शाद-शाद आबाद सही, 
मैं नाशाद नहीं..
बराए-नाम मुझे याद नहीं
वो दिलशाद सही..
~शिकंजी

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