वो तमाम किस्से जो मेरे बाद कहे जाएंगे
जो आज वो कह जाएं तो क्या बात हो
वो तमाम गुंचे जो मेरी अर्थी पे उछाले जाएंगे
जो आज वो महक जाएं तो क्या बात हो
वो तमाम कसीदे जो मेरी मैयत पे पढ़े जाएंगे
जो जीते जी वो कह पाएं तो क्या बात हो
वो तमाम रुदालियाँ जो मेरी खातिर गाई जाएंगी..
वो जीते जी मेरे साथ गुनगुनाएं तो क्या बात हो..
वो तमाम लोग जो मेरी मौत पे आएंगे
जो आज वो मिल जाएं तो क्या बात हो..
~अक्षिणी
जी चाहता है आपकी कलम चूम लूं...लगता है मन के भाव किसी आईने के सामने खड़े हो गए!!लिखते रहिए👏👏👏👏
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