गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

कहाँ से लाओगे..?

यूँ पहलु बदलने से कुछ नहीं हासिल,
भीगी आँखों का नूर कहाँ से लाओगे..?
रो के निखरी है जो अश्कों से रात भर,
वो निगाह चश्मेबद्दूर कहाँ से लाओगे?

~अक्षिणी 

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