आसान है झुग्गियों को बरगलाना
झोंपड़ियों को महल दिखाना
सहज है झोंपड़-पट्टियों में
छद्म क्रांति की आग लगाना
गरीब-गुरबों को बहकाना
क्रांति के स्वप्न दिखाना
विद्रोही विचारों से श्रमिकों को
सरकार के विरुद्ध भड़काना
युवाओं को भटकाना
डफली बजाना
आग लगाना
बम बनाना सिखाना।
आसान है गुटखे चबाना
दाढ़ी और बाल बढ़ाना..
चाय की थड़ी पर बैठ
धुएँ के छल्ले उड़ाना..
आसान है देश-दुनिया की
सरकारों पर अंगुली उठाना..
मेहनतकशों के हाथ से
यहाँ-वहाँ तबाही मचाना..
आसान है मेहनतकशों को
बातों के लच्छों में फँसाना..
आसान है गरीब-गुरबों को
साम्यवाद की चाशनी चटाना..
आसान है हर शहर के छोर
कच्ची बस्तियों में आना
लाशों की आँच पर अपनी
राजनीति की रोटियाँ सिंकवाना..
..बहुत ही आसान..
~अक्षिणी
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