शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024

जूता फैक्ट्री..

ये कहानी है एक प्रसिद्ध जूता निर्माता कंपनी की..जिसकी अत्याधुनिक विश्व स्तरीय फैक्ट्री दिल्ली-पंजाब जी. टी. रोड पर स्थित थी।
हुआ यूँ कि हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री की कार फैक्ट्री से कुछ दूर खराब हो गई और उनके सचिव ने उन्हें कुछ देर के लिए फैक्ट्री में ठहरा दिया।

फैक्ट्री के मालिक ने सी एम साहब का स्वागत किया , पैर छुए और सम्मान स्वरूप अपनी कुर्सी पर बैठाया। जलपान के बाद मुख्यमंत्री जी ने फैक्ट्री देखने की इच्छा जताई जो फैक्ट्री के मालिक ने सहर्ष स्वीकार कर ली। 
संवाद सुनिए..
CM:फैक्ट्री तो काफी बढ़िया बनाई है,कोई दिक्कत हो तो सीधे मुझे काल करना। 
मालिक: धन्यवाद जी,आप देवता हैं।
CM:1000 जोड़ी बनती होगी एक दिन में?
मालिक:नहीं सर,5000 जोड़ी बन जाती है।
CM:वाह!तुझे तो अवार्ड मिलना चाहिए।10₹ बचते होंगे एक पर?
मालिक:नहीं सर,35-40₹ बचते हैं।
CM साहब बहुत खुश हुए और मन ही मन हिसाब लगाने लगे। फिर कुछ देर बतियाने के और नाश्ता पानी, फोटो-शोटो के बाद वहाँ से चले गए।
एक हफ्ते के बाद सीएम साहब का वही निजी सचिव फैक्ट्री आया और मालिक के साथ चाय पीने के बाद चलते हुए बोला कि सीएम साहब ने चुनावी फंड के लिए 50 लाख मांगे हैं।
हक्का-बक्का फैक्ट्री का मालिक डर और गुस्से के मारे कांपने लगा।उसे समझ ही नहीं आया कि उसके साथ चोट हुई और जिसे वो सज्जन समझा वो मुख्यमंत्री तो राक्षस निकला।
उसने भ्रष्टाचार से लड़ने की ठानी और पैसे देने से मना कर दिया।
निजी सचिव अंजाम की धमकी दे कर चला गया।
अगली सुबह आधा दर्जन जेसीबी मशीनें आईं और उसकी फैक्ट्री के चारों तरफ बड़ी और गहरी खाईयांँ खोद कर चली गईं!
अब न कोई कच्चा माल आ सकता था, न कोई काम करने वाला और ना ही तैयार माल बाहर जा सकता था।
बिजली की लाइनें काट दी गईं, और पानी के पाईप भी ..!

पता नहीं बाद में मुख्यमंत्री और फैक्ट्री मालिक के बीच क्या समझौता हुआ पर करनाल में हर कोई उन खाइयों की कहानी जानता है जिन्होंने एक जूता फैक्ट्री को बर्बाद कर दिया!!

साभार @seriousfunnyguy

रविवार, 1 दिसंबर 2024

पराजय..

पराजय हार नहीं होती
जब तक स्वीकार नहीं होती
पराजय हार नहीं होती
निराशा का यदि हार नहीं होती

लक्ष्यों की ललकार हुआ करती है
विश्वासों की पहचान हुआ करती है
आकांक्षाओं,अभिलाषाओं का
पुन:स्मरण हर बार हुआ करती है

पराजय का अस्तित्व जब तक
दृढ़ता से वो दो-चार नहीं होती
पराजय जीवित मात्र तब तक
क्षमताएँ सारी लाचार नहीं होती

पराजय कभी हार नहीं होती
जब तक मन को स्वीकार नहीं होती..

~अक्षिणी

रविवार, 20 अक्टूबर 2024

वो फिर मिली..!

और वो फिर मिली....
शांत, सौम्य, क्षम्य..

और वो फिर मिला....
एकाकी,विवश,उद्विग्न..

और वो फिर मिला....
निःशब्द, निस्तेज,क्लांत..

और वो फिर मिला....
निःशब्द, निस्तेज नितांत..

और वो फिर देखती रही....
अपलक,हतप्रभ,स्तब्ध..


~अक्षिणी 

बातें सीली-सीली सी..

बातें..!
बातें ही तो होती हैं..
बातें ही तो होती हैं..
बातें ही तो चलती हैं..
बातें ही तो छलती हैं..
बातें ही घाव करती हैं..
बातें ही भाव भरती हैं..
बातें ही तो साँस लेती हैं..
बातें ही जान ले लेती हैं..
बातें ही कहानी बुनती हैं..
बातें ही कहानी चुनती हैं..
बातें ही तो होती हैं..
बातें..!
बातें खुली-खुली सी..
दूध सी धुली-धुली सी..
बातें खिली-खिली सी..
मन से मिली-मिली सी..
बातें उड़ी-उड़ी सी,
टूटी जुड़ी-जुड़ी सी..
बातें बुरी-बुरी सी..
मीठी छुरी-छुरी सी..
बातें अटी-पटी सी..
जड़ से कटी-कटी सी..
बातें छोटी-बड़ी सी..
बातें खोटी-खरी सी..
#बातें
बातें ही तो हैं..
दौड़ कर भी किधर जाएंगी..
कुछ देर चलेंगी, सिमट जाएंगी..
किसी मोड़ पर छिटक जाएंगी..
बनते-बनते ही बिगड़ जाएंगी..
हिरनी सी भरेंगी छलांगें,
तुरंगों सी बिदक जाएंगी..
बातें ही तो हैं..
घर से जो निकली तो,
घर-घर घर जाएंगी..
#बातें

शुक्रवार, 6 सितंबर 2024

पढ़ ले प्यारे..

खुली किताब सी ज़िन्दगी 
लम्हा-लम्हा पढ़ ले प्यारे
पन्ना-पन्ना पढ़ता जा रे
कोरे कागज़ दिन हैं सारे
सफहा-सफहा जैसे तारे..

सूखी कलमें फीकी स्याही
भीगे आखर, मौन गवाही..
हर्फ़-हर्फ़ जलते अंगारे..
पन्ना-पन्ना पढ़ता जा रे..

#पुस्तक_दिवस..

गुरुवार, 15 अगस्त 2024

स्वतंत्रता के माने क्या?

स्वतंत्रता के माने क्या?
आज़ादी के बहाने क्या?
बंधन सब खुल जाने भर?
आज़ादी के अफसाने भर?
कुर्सी की सेवा टहलाने भर?
जेब भरने के बहाने भर?
सेंधमारी हर ख़ज़ाने पर?
लाज-शर्म सब मर जाने पर?
रेतों से पुल चुनवाने भर?
देश-धर्म सब बिक जाने भर?
नियत के भर ना पाने भर?
जनता का पैसा खाने भर?

तुझे प्रणाम..

स्वतंत्रता और संप्रभुता  के
वर्ष अठत्तर तुझे प्रणाम 
जल थल नभ ऊर्जा से सिंचित
वंदन प्रखर तुझे प्रणाम 
जन गण मन प्रमुदित मुखरित 
हे विश्व प्रवर तुझे प्रणाम 
वेदांगी दुर्वा से पोषित भारत के
हे सत्य सनातन तुझे प्रणाम
हिमगिरि के मिति क्षितिज पर 
विचरित ओ मधुकर तुझे प्रणाम
कोटि-कोटि कंठों से गुंजित,
जय भारत के आल्हादित 
स्वर तुझे प्रणाम..
जय हिंद। जय भारत।।

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं