हे मसिजीवियों..
नये भारत की नई ललकार लिखो
नयी क्रांति अब नया यलगार लिखो..
नये भारत के नव प्रतिमान लिखो..
नये भारत का अभिनव विधान लिखो
पिछड़ों को हुलराओ,दुलराओ
हाँ अगड़ों को अपराधबोध न दो
जिसमें आरक्षण की छाप न हो
जिस पे संख्याबल की थाप नU हो
काटो नहीं बाँटो नहीं,चापो न हमें
छाँटो नहीं आँटो नहीं,नापो न हमें
नई नफरत की नस्लें न उगाओ,
नये वर्गों नये पंथों में छापो न हमें
थम जाओ अब आगे की बात कहो
हे मसिजीवियों
नये भारत की नई ललकार कहो
शस्य श्यामला नव धरती का आह्लाद लिखो
स्वयंप्रभा समुज्ज्वला का आशीर्वाद लिखो..
लोहितशोणित पोषित इस वसुंधरा का,
सुनो अब तुम आह्वान अनुनाद लिखो..
लिखो..अब नया कुछ निर्माण लिखो,
कलम उठाओ, नव आल्हा नव प्राण लिखो
स्वाधीन भारत का नूतन गौरवगान लिखो..
हे मसिजीवियों
हाँ भार बहुत है तुम्हारे शब्दों पर
उत्तरदायित्व बड़ा तुम्हारे भावों पर
लिखो..
सद्य लेखनी से अपनी नव प्रकाश लिखो..
नये भारत की नई ललकार लिखो
नव क्रांति अब नया यलगार लिखो..
~अक्षिणी