किताब में लिखा दर्द
जब बहने लगे तेरी आँखों से
किताब के पन्नों पर बिखरे काँटे
जब चुभने लगे तेरे पैरों में
किताब की रवानी ज़िंदा हो
थिरकने लगे तेरे मन में
किताब के हर्फ़ जब
घाव बन रिसने लगे तेरे तन से
किताब की बगिया के फूल
जब महकने लगे तेरी साँसों में
अंगार से दहकने वाले अच्छर
मशाल से सुलगने लगे तेरे दिल में
तो समझना
कि तुमने पढ़ना सीख लिया है..
अक्षिणी