गुरुवार, 7 मार्च 2024

किश्तों के देनदार..

औरतें भी लादती हैं 
साहस की गठरियाँ
अपना घर-बार बचाने को,

फकत, मर्द ही तो
अपने धीरज की
किश्तों का देनदार नहीं होता.....!!


औरतें भी साधती हैं 
वक्त की चुनौतियाँ
अपना घर-द्वार चलाने को,

फकत, मर्द ही तो
अपने कर्मों की
किश्तों का देनदार नहीं होता.....!!

~अक्षिणी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें