मंगलवार, 30 अक्तूबर 2018

हाय री मेरी आज की नारी..

हाय री मेरी आज की नारी
तेरी मुश्किल है कितनी भारी
आधी रात को एक अदद
सिगरेट ढूँढती ये बेचारी
ऊपर नीचे इधर ऊधर
देखो फिरती मारी मारी
यहाँ वहाँ हाथ फैलाए
देती जाती अंग्रेजी गाली
अहो दुर्भाग्य!
बस एक कश की खातिर
अधनंगी होने की लाचारी
लो फिर मी टू मी टू
करने की है तैयारी..

अक्षिणी

शनिवार, 27 अक्तूबर 2018

खूबसूरती..

खूबसूरती तो आशिक की निगाहें बयां करती है,
है गर इश्क तो बला भी हूर लगा करती है..

अक्षिणी

गुरुवार, 18 अक्तूबर 2018

जख़्म अपने हैं..

आँख भर आए तो पलकों में छुपाए रखिए..
हँसते रहिए, खुशियों का भरम बनाए रखिए..

आह भर आए तो होठों में दबाए रखिए,
कुछ ना कहिए,जमाने को लजाए रखिए..

दिल की कह देंगी,निगाहों को झुकाए रखिए,
रात मुश्किल है, सुबह को बुलाए रखिए..

हैं जो ज़िंदा तो साँसों में तराने रखिए,
राह मिल जाएगी, ठोकर पे जमाने रखिए..

दर्द दिल के हैं , पत्थर के सहारे रखिए,
जख़्म अपने हैं , मरहम न पराए रखिए..

अक्षिणी

बुधवार, 17 अक्तूबर 2018

सादगी..

मायूस न हो ऐ दिल,बड़ी मुद्दत से है जारी..
दादागिरी से सादागिरी की ये जंग भारी..

रविवार, 14 अक्तूबर 2018

जागो और भागो..

जागो और भागो,
सो कर किसने कुछ पाया ..
धूप को जिसने अपनाया,
साथ उसी के चलती छाया ..

शमशीर उठाओ,
कर्मयुद्ध का घोष है आया..
जयगीत उसी के बनते आए,
वक्त से जो लड़ता आया ..

अक्षिणी

गुमशुदा..

मुझे खुद मेरी खबर नहीं,
इस कदर गुमशुदा हूँ मैं..
सुना है कुछ लोग कहते हैं,
इन दिनों लापता हूँ मैं...

अक्षिणी

आज की नारी..

वाह री मेरी आज की नारी,
तेरी मुश्किल है सच में भारी..
अबला से सबला के हवन की
तू जलती छलती इक चिंगारी

छूने थे तुझे नये आसमान,
भरनी थी जब तुझे उड़ान..
सीढ़ियों पे रख कदम,
चढ़ती गई सब सोपान..

वाह री मेरी आज की नारी,
तेरी मुश्किल है सच में भारी..

बुलंदी की चाह में किस कदर,
मजबूर थी तब वक्त की मारी..
बिछती रही हर दर हर चौखट,
मंजूर थी तुझे वो शर्ते सारी..

वाह री मेरी आज की नारी,
तेरी मुश्किल है सच में भारी..

उम्र बिताई बन अबला बेचारी,
जीती आई जैसे तैसे मारी मारी..
जो दिखी राह तो मुँह खोला है,
बदला चुन चुन लेगी बारी बारी

वाह री मेरी आज की नारी,
तेरी मुश्किल सच है भारी..

अक्षिणी

सोमवार, 8 अक्तूबर 2018

कितने..

कितने रिश्ते हैं
जिनकी बाकी अभी किश्तें हैं..

जाने कितने कतरे हैं कि ,
आँखों में आँसू के खतरे हैं ..

जाने कितनी कसमें हैं
झूठी जिनकी रस्में हैं..

अक्षिणी

सोमवार, 1 अक्तूबर 2018

चलो जीत लाएं जो खुशी कम है,
जरा सा हँसाए जो आँख नम है..
चलो ढूंढ लाएं जो हँसी गुम है,
धूप छाँव तो हर दर हर पल हर दम है..

अक्षिणी