शनिवार, 23 मार्च 2024

बिखरता नहीं कभी..

टूटता नहीं कभी..
हाँ मगर रिसता है,
दरार दर दरार..
दिखता नहीं कभी..
हाँ मगर टीसता है,
करार दर करार..
बिखरता नहीं कभी..
हाँ मगर सीलता है,
मन, दर-ओ-दीवार..

या के..

वो पानी क्या जो बँध जाए?
वो बाँध क्या जो टूट जाए?
सूख जाए तो ज़ख़्म क्या?
वो नेह क्या जो छूट जाए..

~अक्षिणी 

गुरुवार, 14 मार्च 2024

पाई की पाई-पाई..

पाई को समर्पित है आज की गणिताई
पाई जो आसानी से पकड़ में न आई..
कहने को परीधि-व्यास का अनुपात है पाई
ईसा से 700बरस पहले 
शतपथ ब्राह्मण ने पाई थी समझाई
कहते हैं पाई ने पिरामिड में भी नाक घुसाई..
माध्वाचार्य जी ने नये अंदाज में पढ़ाई..
16वीं सदी में आर्किमिडीज ने जुगत लगाई
पर 1700 में ये यूलर के नाम पे आई..

रामानुजन जी ने नई तकनीक लगाई..
पाई बड़ी ही आसानी से सिखलाई..
जब कम्प्यूटर ने दुनिया की घंटी बजाई
जाने कितने दशमलव की गणित लगाई
सुपर से ऊपर की जबर हुई लड़ाई
कोशिश ने कर दी पाई की पाई-पाई
आइंस्टीन के जन्मदिन 14 मार्च को 
होती है पाई दिवस की मनाई
तो पाई को समर्पित है आज की गणिताई
आप सभी को पाई दिवस की बधाई..

#PiDay2024

~अक्षिणी 

शुक्रवार, 8 मार्च 2024

नारी तुम केवल श्रद्धा हो..

नारी तुम केवल श्रद्धा हो!
रीलों में वक्त बर्बाद न करो..
गलियों में गला फाड़ न गाओ..
मेट्रो-रेलों में यूँ नाच न करो..

नारी तुम केवल श्रद्धा हो!
चेहरों पे सस्ता श्रंगार न करो..
जीतो जग को परिधानों से..
पी कर शराब, उत्पात न करो..

#महिलादिवस

पगली लड़की..

ओ पगली लड़की ! 
तुम जंगल की नहीं 
मनुष्य की संतान हो 
उत्पात नहीं सहृदयता चुनो !

अपनी मांओं को रीढ़ दो
और बेटियों को ममता..

कोई पर्यावरणविद् यह कभी नहीं बताएगा
कि एक समझदार लड़की
दुनिया का सबसे लुप्तप्राय जीव है ||

~अक्षिणी

गुरुवार, 7 मार्च 2024

किश्तों के देनदार..

औरतें भी लादती हैं 
साहस की गठरियाँ
अपना घर-बार बचाने को,

फकत, मर्द ही तो
अपने धीरज की
किश्तों का देनदार नहीं होता.....!!


औरतें भी साधती हैं 
वक्त की चुनौतियाँ
अपना घर-द्वार चलाने को,

फकत, मर्द ही तो
अपने कर्मों की
किश्तों का देनदार नहीं होता.....!!

~अक्षिणी

बुधवार, 6 मार्च 2024

मर्द और औरत..

चरित्र की देहरियां 
अपनी-अपनी..
कोई करज के लिए..
कोई फरज के लिए..

हवस की ड्योढ़ियां 
अपनी-अपनी..
कोई सहन के लिए..
कोई दहन के लिए..

मर्द हो के औरत,
चाह की मजबूरियां
अपनी-अपनी..
कोई परस के लिए..
कोई दरस के लिए..

यूंँ ही कोई अपने जिस्म की
जरूरतों पे तमाम नहीं होता.....!!

~अक्षिणी