बुधवार, 6 मार्च 2024

मर्द और औरत..

चरित्र की देहरियां 
अपनी-अपनी..
कोई करज के लिए..
कोई फरज के लिए..

हवस की ड्योढ़ियां 
अपनी-अपनी..
कोई सहन के लिए..
कोई दहन के लिए..

मर्द हो के औरत,
चाह की मजबूरियां
अपनी-अपनी..
कोई परस के लिए..
कोई दरस के लिए..

यूंँ ही कोई अपने जिस्म की
जरूरतों पे तमाम नहीं होता.....!!

~अक्षिणी

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