बुधवार, 27 सितंबर 2023

#उज्जैन..

कुछ नहीं कहना है!
कुछ नहीं करना है!
संज्ञाहीन,संज्ञाशून्य हैं हम..
घृणा भी नहीं उपजती नपुंसक नरपुंसकों पर
संवेदनाहीन,तथाकथित नरपुंगवों पर
मृत संवेदनों का समाज,
शिक्षा कोढ़ में खाज
मिथ्या का जोश, 24घंटों का शोर..
खोखली वीरता के सोशल-मीडिया वीर..
बोलबाल के चुप,बातों के शेर..
सभ्यता के चीथड़े,लाशों के ढेर..
~अक्षिणी

गुरुवार, 7 सितंबर 2023

कान्हा कैसा मोह लगाया..?

कान्हा कैसा राच रचाया, सारे जग को जोर नचाया..
यूँ कर्मन के बाँध के घुँघरू, थिरक रहा जग तेरी माया..

कान्हा कैसा मोह लगाया,राजा-रंक सब तेरी छाया..
मोहन मुरली की तान सुना कर, सारा जग तूने भरमाया..

कान्हा कैसा रस बरसाया, छलकी गगरी भीगी काया,
बंसी को यूँ अधर लगा कर, राग ये प्रेम का ऐसा गाया..

कान्हा कैसी धुन तू लाया, कँकर-पत्थर बाँध तू पाया..
गोकुल-बृज को मोहा तूने, सारे जग को दास बनाया..

मीरा नाची, राधा नाची, रुक्मणि को भी रंग लगाया..
छोड़ के जग के बँधन सारे,कृष्णा तू वीतरागी कहलाया.. 

~अक्षिणी