गुरुवार, 23 मार्च 2017

एक था ...

एक था केजरीवाल..
धरनाधीश हुआ करता था जो कमाल,
अपने ही चेहरे पे मला करता था गुलाल.

एक था केजरीवाल..
इन दिनों जाने कहाँ गई उसकी जुबान,
निकाला करता था बहुत बाल की खाल.

एक था केजरीवाल..
बहुत करता था जो फालतू के सवाल,
अपनी ही धोती फाड़ के कर देता था रुमाल.

एक था केजरीवाल..
दिल्ली का कर दिया था जिसने बुरा हाल,
पीएम ना बन पाने का जिसको था  मलाल.

एक था केजरीवाल..
बहुत बजाया करता था अपने गाल,
थप्पड़ मार के रखता था जिन्हें लाल.

एक था केजरीवाल..
जाने कैसे गया था जो IIT निकाल,
सबकी डिग्रियों की करता था जो पड़ताल.

एक था केजरीवाल..
बात की बात में कर देता था जो बवाल,
हर दम जूती खाता था जिसका कपाल.

एक था केजरीवाल..
खाँसी और खुजली का चल अस्पताल,
इन दिनों जिसकी बदल गई है चाल.

अक्षिणी भटनागर



1 टिप्पणी: