सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

सत्ता

दोष नहीं ये तेरा मेरा,
ये सब सत्ता का है फेरा
सत्ता नागिन जिसको डसले
न देखे वो कभी सवेरा.

सत्ता चलती,सत्ता छलती,
सत्ता पलती, सत्ता जलती,
सत्ता नागिन जिसको डसती,
न देखे वो कभी सवेरा.

सत्ता मिलती पत्ता खुलता,
सत्ता मिलती रस्ता खुलता,
ताकत की बर्रों का,
फिर छत्ता खुलता.

सत्ता के आइने की
झूठी सब तसवीरें हैं.
सत्ता के अंधियारों ने ,
पलटी सब तकदीरें हैं.

सत्ता जिसकी चर्चा उसका,
सत्ता जिसकी पर्चा उसका.
चित भी उसकी पट भी उसका,
झंडा उसका डंडा उसका.

सत्ता भुलाए सारे रिश्ते ,
सत्ता दिखाए झूठे चेहरे.
सत्ता बिठाए सच पै पहरे,
सत्ताधारी अंधे बहरे..

सत्ता की लत ऐसी लगती,
लाइलाज ये सत्ता का रोग.
सत्ता देती ऐसी पटकी
सत्ता सिखाए सारे ढोंग.

सत्ता नहीं ये सदा किसी की,
सत्ता आनी जानी.
सत्ता का है सब हंगामा ,
सत्ता की सब मनमानी.
-अक्षिणी भटनागर-

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