मंगलवार, 24 जनवरी 2017

सबक

जिंदगी तुझसे सबक
जिसने सीखा उसने लिखा,
जिसने कुछ नहीं सीखा
उसने क्या ख़ाक लिखा?
मुस्करा के जिया,
गम छुपा के जिया,
बह गया जो आँसू
तो हर आँख में अटका,
जो रिसता रहा भीतर भीतर
किसी को न दिखा..
पल पल बीतता गया,
जीवन घट रीतता गया,
खट्टा मीठा तेरा अंदाज
मन सुमन जीतता गया,
ज़िंदगी तेरा नमक ,
कभी फीका कभी तीखा..
निगाहों में आसमां लिये,
सितारों का जहां लिये,
उड़ता रहा , जुड़ता रहा,
लड़ता रहा , बढ़ता रहा,
ज़िंदगी तेरा सुरूर,
कभी रूखा कभी भीगा..

अक्षिणी भटनागर

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