मंगलवार, 2 सितंबर 2025

ढब जा ए इंदर राजा..

खेतां ऊबी ज्वार गळगी, 
साग थी आखी क्यार गळगी
त्राहि-त्राहि मिनख बोळगो
ढब जा ए इंदर राजा,घणो हो ग्यो

जेठ लागतां चालू होगो
सावण बीतो भादो चाळगो
इश्यो-किश्यो चौमासो होगो
ढब जा ए इंदर राजा,घणो होग्यो

गांव डूब ग्या, ठांव डुब ग्या
ढोर-ढंगर आजी आया..
सूरज बापड़ो ठंडो पड़गो..
ढब जा ए इंदर राजा, घणो होग्यो..

टिमाटिरां को भाव बढ़ ग्यो 
किंकोड़ा ताईं ताव चढ़ ग्यो..
दो सौ रिप्यां को धणो होग्यो..
ढब जा ए इंदर राजा, घणो होग्यो 

गांव-गुवाड़ी खाड़ा पड़गा,
सड़कां माथे गाड़ा गड़गा..
ढाणी-पाणी रोळो होग्यो..
ढब जा ए इंदर राजा, घणो होग्यो..

~अक्षिणी



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