बुधवार, 13 सितंबर 2017

मेरी बोली..

चाहों को ये स्वर दे ऐसे,
मनोभावों को वर ले जैसे..

बोलों को ये वाणी कर दे,
भीगी आँख से पानी हर ले..

सपनों में ये रंग भरे और,
वचनों से ये दंग करे यूं..

हर भाषा को अपनाए ऐसे,
सखियों संग इठलाए जैसे..

हिन्द का गौरव गान है हिन्दी,
हर हिन्दी का अभिमान है हिन्दी..

#हिन्दी_दिवस

1 टिप्पणी: